कंपोजीशन स्कीम बनाम रेगुलर स्कीम (Tax Scheme) कौन सा बेहतर है?

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1️⃣ कंपोजीशन स्कीम और रेगुलर स्कीम क्या है?

GST में दो प्रकार की कर व्यवस्था (Tax Scheme) होती हैं:

🔹 कंपोजीशन स्कीम (Composition Scheme):
छोटे कारोबारियों के लिए आसान कर प्रणाली, जहाँ कम टैक्स और कम कंप्लायंस की सुविधा मिलती है।

🔹 रेगुलर स्कीम (Regular Scheme):
बड़े व्यवसायों के लिए उपयुक्त, जहाँ ITC (Input Tax Credit) का लाभ लिया जा सकता है, लेकिन अधिक रिपोर्टिंग और कंप्लायंस की जरूरत होती है।


2️⃣ कंपोजीशन स्कीम (Composition Scheme) क्या है?

योग्यता (Eligibility):
✔️ टर्नओवर ₹1.5 करोड़ तक (मैन्युफैक्चरर्स और ट्रेडर्स के लिए)।
✔️ ₹75 लाख तक (नॉर्थ-ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के लिए)।
✔️ सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए ₹50 लाख तक।

कौन नहीं ले सकता?
🚫 इंटर-स्टेट सप्लाई करने वाले।
🚫 ई-कॉमर्स ऑपरेटर (जैसे – Amazon, Flipkart पर बेचने वाले)।
🚫 निर्यातक (Exporter)।

📌 टैक्स दरें (Tax Rates in Composition Scheme):

बिजनेस का प्रकारGST दर (Tax Rate)
मैन्युफैक्चरर्स & ट्रेडर्स1% (0.5% CGST + 0.5% SGST)
रेस्टोरेंट सर्विसेस5% (2.5% CGST + 2.5% SGST)
सर्विस प्रोवाइडर्स6% (3% CGST + 3% SGST)
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📌 फायदे (Advantages of Composition Scheme):
✔️ कम टैक्स दरें।
✔️ हर महीने रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं, सिर्फ GSTR-4 (तिमाही रिटर्न)
✔️ आसान रिकॉर्ड कीपिंग।

📌 नुकसान (Disadvantages of Composition Scheme):
ITC (Input Tax Credit) का लाभ नहीं मिलता।
B2B बिजनेस के लिए सही नहीं, क्योंकि ग्राहक ITC क्लेम नहीं कर सकते।
इंटर-स्टेट सेलिंग की अनुमति नहीं है।


3️⃣ रेगुलर स्कीम (Regular Scheme) क्या है?

योग्यता (Eligibility):
✔️ कोई भी व्यवसाय, जिसका टर्नओवर ₹1.5 करोड़ से ज्यादा है।
✔️ इंटर-स्टेट सेलिंग और ई-कॉमर्स व्यवसाय करने वालों के लिए अनिवार्य।
✔️ निर्यातकों और बड़ी कंपनियों के लिए फायदेमंद।

📌 टैक्स दरें (Tax Rates in Regular Scheme):
🔹 5%, 12%, 18% और 28% (व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार)।

📌 फायदे (Advantages of Regular Scheme):
✔️ Input Tax Credit (ITC) का लाभ मिलता है।
✔️ इंटर-स्टेट व्यापार कर सकते हैं।
✔️ B2B ग्राहक ITC क्लेम कर सकते हैं, जिससे बिजनेस ग्रोथ बढ़ती है।
✔️ ई-कॉमर्स पर बिक्री की अनुमति।

📌 नुकसान (Disadvantages of Regular Scheme):
हर महीने GSTR-1, GSTR-3B जैसे रिटर्न फाइल करने होते हैं।
टैक्स दरें अधिक होती हैं।
व्यवसाय के लिए अकाउंटिंग और रिपोर्टिंग की जटिलता बढ़ती है।


4️⃣ कौन सा बेहतर है?

अगर आपका बिजनेस छोटा है और ITC की जरूरत नहीं है → कंपोजीशन स्कीम सही है।
अगर आप इंटर-स्टेट बिजनेस, B2B व्यापार, या ऑनलाइन बिक्री करना चाहते हैं → रेगुलर स्कीम बेहतर है।

🎯 सही चुनाव आपके व्यवसाय की जरूरतों पर निर्भर करता है।

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